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Monday 24 February 2014

प्रेसपालिका : 16 फरवरी, 2014 में प्रकाशित शायरी

तुम्हारी याद में पहरों उदास रहता हूँ।
मिली है ‘मस्त’ की जब से खबर, उदास हो तुम॥-मस्त रहमानी

एक उम्र कट गयी है तेरे इन्तजार में।
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिनसे एक रात॥-फिराक गोरखपुरी

हमने माना कि तगाफुल (उपेक्षा) न करोगे, लेकिन।
खाक हो जायेंगे हम, तुमको खबर होने तक॥-मिर्जा गालिब

सहरा ना देती अगर मौजे-तूफां।
डुबो ही दिया था, हमें नाखुदा ने॥-मकीन अहमद क्लीम

खत्म ही नहीं होते सिलसिले सवालों के।
सिलसिले सवालों के, और खामुशी मेरी॥-इकबाल उमर

हम जिस पे मर रहे हैं, वो है बात ही कुछ और।
आलम में तुझसा लाख सही, तू मगर कहॉं?-हाली पानीपती

कुछ अब के अजब हसरते-दीदार है वरना।
क्या गुल नहीं देखे, कि गुलिस्तां नहीं देखा?-उम्मेद अमेठवी

अन्दाज अपना देखते हैं आईने में वो।
और ये भी देखते हैं, कोई देखता न हो॥-निजाम रामपुरी

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