Popular Posts : Last 7 Days

Saturday 20 October 2012

प्रेसपालिका 16 अक्टूबर, 2012 में प्रकाशित शायरी

साफ कह दीजिये वादा किया था किसने|
उज्र क्या चाहिये, झूठों को मुकरने के लिये॥
-साकिब लखनबी
है देखने वालों को समझने का इशारा|
थोड़ी नकाब आज वो सरकाये हुए हैं॥
-अज्ञात
हँसते हुए चेहरे पर गजाली आँखें|
बे-मिस्ल जवानी है, मिसाली आँखें॥
-मुशीर झिंझानवी
तेरा देखना है जादू, तेरी गुफ्तगू है खुशबू|
जो तेरी तरह से चमके, उसे रोशनी कहेंगे॥
-मुमताज राशिद
जिस भी फनकार का शाकार हो तुम|
उसने सदियों तुम्हें सोचा होगा॥
-अहमद नसीम कासिमी
रफ्ता-रफ्ता उस हंसी को कत्ल करना आ गया|
हौले-हौले मॉंग में सिन्दूर भरना आ गया॥
-अब्दुल हमीद अदम
सूरज भी हमको ढूँढ़कर वापस चला गया|
अब हम भी घर को लौट चलें शाम हो गयी॥
-परवीन शाकिर
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है?
तुम्हीं कहो कि ये अन्दाजे-गुफ्तगू क्या है?
-गालिब
जी तो करता नहीं कूचे में तेरे जाने को|
गर तेरी इसमें खुशी हो तो चला जाता हूँ||
-हिदायत
मुझको ये आरजू वो उठाये नकाब खुद|
उनको ये इन्तजार तकाजा करे कोई॥
-मजाज लखनवी
जिन्दगी की राहों में, गम भी साथ चलते हैं|
कोई गम में हंसता है, कोई गम में रोता है॥
-खातिर गजनवी
न पूछो कौन है, क्यों राह में लाचार बैठे हैं?
मुसाफिर हैं, सफर करने की हिम्मत हार बैठे हैं॥
-आजाद अंसारी

Monday 1 October 2012

प्रेसपालिका 01 अक्टूबर, 2012 में प्रकाशित शायरी

खतो-खिताबत की सदा रस्म जारी रखना|
भूल जाना न हमें, याद हमारी रखना॥ 
-अज्ञात
तुमने यह फूल जो जुल्फों में सजा रखा है|
इक दिया है जो अंधेरे में जला रखा है॥
-कतील शिफाई
तुम मुस्कुरा दिये तो उम्मीदें भी हंस पड़ी|
दिल डूबने को था के किनारा मिल जाये॥
-मुस्तफा सबा
जब से देखी है इक झलक तेरी|
मेरी आँखों में नूर रहता है॥
-साहिर अबोहरी
उनसे नजर मिली थी, बस इतना ही याद है|
छोटी-सी-वारदात कहॉं ले गयी मुझे॥
-कतील शिफाई
अब तो अपनी शक्ल भी पहचान में आती नहीं|
एक मुद्दत हो गयी है आईना देखे हुए॥
-जिगर श्योपुरी
खिजा के दौर में उस पर बहार आ जाये|
तेरी निगाह को जिस पर भी प्यार आ जाये॥
-मजहर नसीम
पूछता फिरता हूँ मैं उसकी दिखाकर तस्वीर|
मुझको बतलाये कहीं देखा है ऐसा कोई?
-अकबर दानापुरी
मुझे ना पाने का सबब, तुम्हें हर वक्त सतायेगा|
मुझ जैसा हो चाहने वाला, अहसास सदा रुलायेगा|
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा  'निरंकुश'
एक नये अन्दाज से तरकश सजा के शोख ने|
खून का दरिया बहाया, सब अदा कहते रहे॥
-आजम फतेहपुरी
रेत पर लिक्खे हुए नामों को पढकर देख लो|
आज तन्हा रह गया हूँ, कल मगर ऐसा न था॥
-अमीर कजलबाश
मेरी चाहत की बहुत लम्बी सजा दो मुझको!
सौ वर्ष तन्हाई में जीने की बद्दुआ दो मुझको!!
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा  'निरंकुश'
स्त्रोत : प्रेसपालिका, 01 अक्टूबर, 2012