Popular Posts : Last 7 Days

Monday 24 September 2012

प्रेसपालिका में प्रकाशित शायरी


ऐतबारे-इश्क की खाना-खराबी देखिये।
गैर ने की आह और वो खफा मुझसे हो गये॥
-गालिब
जिन्दगी है अपने कब्जे में, न बस में है ये मौत।
आदमी मजबूर और किस कदर मजबूर है?
-उम्मीद उमैथवा
मुझे फूंकने से पहले, मेरा दिल निकाल लेना!
ये किसी की है अमानत, मेरे साथ जल न जाये!।
-अनवर मिर्जापुरी
इब्तिदा वो भी के जीने के लिये मरता था!
इन्तेहा ये है कि मरने की भी हसरत न रही!
-महिरूल कादरी
बाकी है अभी तर्के तमन्ना की आरजू!
क्योंकर कहूँ कि कोई तमन्ना नहीं मुझे!!
-असीर लखनवी
ए-निगाहें-नाज जिस पर तेरा अहसां हो गया!
दो जहां में नाज के काबिल वो इंसा हो गया!!
-अजीज वारसी
इधर बनाया नशेमन, उधर गिरी बिजली!
चमन में रास न आयी कभी बहार मुझे!!
-अजीज कोटवी
वो कुछ मुस्कुराना, वो कुछ झेंप जाना!
जवानी अदायें सिखाती है क्या-क्या!!
-बेखुद देहलवी
मेरी तबाहियों में नहीं है तुम्हारा हाथ!
मुझको तो एतबार है, कसमें न खाइये!!
-अमीर कजलबाश
कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे!
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे!!
-जिगर मुरादाबादी
स्त्रोत : प्रेसपालिका, 16 सितम्बर, 2012