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Thursday 15 November 2012

प्रेसपालिका : 16 नवम्बर, 2012 में प्रकाशित शायरी

यह तो फ़रमाइये हम आपका क्या लेते हैं?
आप बेवजह जो हमसे मुँह छिपा लेते हैं॥
-तन्हाँ
देखिये अब न याद आइये आप।
आज कल आपसे खफा हूँ मैं॥
-नसरीन
भुला बैठे हमको आज, लेकिन ये समझ लेना।
बहुत पछताओगे, जिस वक्त कल हम याद आयेंगे॥
-अख्तर शीरानी
तेरी यादें आज तुझको सौंप दी।
मैं अमानत ग़ैर की रखता नहीं॥
-साजन पेशावरी
खूब परदा है कि चिलमन में लगे बैठे हैं।
साफ़ छिपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं॥
-दाग देहलवी
कहता है अक्स हुस्न को रुसवा न कीजिये।
हर वक्त आप आईना देखा न कीजिये॥
-रियाज खैराबादी
दिल की धड़कन, ये बेकली, ये लरज़ती सांसें।
मेरे खयाल में रह-रह के आ रहा है कोई॥
-जिगर श्योपुरी
तुम हमारे किसी तरह न हुए!
वरना दुनिया में क्या नहीं होता?
-मोमिन खां मोमिन
नहीं शिकवा मुझे कुछ तेरी बेवफाई का हरगिज।
गिला तब हो अगर तूने किसी से भी निभाई हो॥
-अज्ञात
तुझको खबर नहीं, मगर इस साद लौह को।
बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने॥
-साहिर लुधियानवी
उनका अक्सर यकीन करता हूँ।
जिनकी बातों पे शक गुजरता है॥
-महेशचंद्र नक्श
तुम न आओगे तो मरने की हैं, सौ तदबीरें।
मौत कुछ तुम तो नहीं हो, कि बुला भी न सकूँ॥
-ग़ालिब

Saturday 3 November 2012

प्रेसपालिका : 01 नवम्बर, 2012 में प्रकाशित शायरी

शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी|
आपके आने की एक आस थी सो जाने लगी॥
-मखदूम

नींदों का सिलसिला मेरी आँखों से दूर है|
हर रात रतजगा है, तुझे देखने के बाद॥
-तस्नीम सिद्दीकी

उधर से बच के निकलना, वो उधर रहता है|
के जिसको नींद चुराने का कमाल आता है॥
-जिगर श्योपुरी

हमसे ये बागवां का तकाजा भी खूब है|
गुलशन में रह के फूलों से दामन बचाइये॥
-तस्नीम सिद्दीकी

अन्दाजे-बला है के ‘कयामत’ की नजर है|
जलवे का ये आलम है कि दीवाना बना दे॥
-शाहिर देहलवी

वो भोलापन किसी का आह भूला है न भूलेगा|
वो रो देना हँसी में और हँस देना वो रोने में॥
-आज़ाद

तेरी आँखों का कुछ कुसूर नहीं|
हॉं, मुझी को खराब होना था॥
-जिगर

बैठे तकते तो हैं कनखियों से?
ये नहीं पूछते, खड़े क्यों हो?
-आरजू लखनवी

आप कहते हैं बार-बार ‘नहीं’|
हम को ‘हां’ का भी एतबार नहीं|
-रविश सिद्दीकी

हमारे बाद जो दुनिया कहेगी वो भी सुन लेना|
अभी तो तुम हमारी बे-जुबानी देखते जाओ॥
-नातिन

तुम जफा पर भी तो नहीं कायम|
हम वफा उम्र-भर करें क्यों कर॥
-बेदिल अजीमाबादी

फकीरी में भी मुझको मांगने में शर्म आती है?
सवाली होके मुझसे हाथ फैलाया नहीं जाता॥
-मखमूर