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Sunday 21 July 2013

प्रेसपालिका : 16 जुलाई, 2013 में प्रकाशित शायरी

दिल में किसी के राह किये जा रहा हूँ मैं।
कितना हँसी गुनाह किये जा रहा हूँ मैं॥-शाकिर श्योपुरी

सोया था हारकर मैं गमे रोजगार से।
इतने में तेरी याद ने आकर जगा दिया॥-शाकिर श्योपुरी

नजर में बेरुखी, लब पे तबस्सुमें।
न जाने दिल में क्या ठाने हुए हैं॥-रईस अमरोहवी

उंगलियों को तराश दूँ फिर भी आदतन।
आदतन उसका नाम लिक्खेगी॥-परवीन शाकिर

सहारा क्यों लिख था नाखुदा का।
खुदा भी क्यों करे इमदाद मेरी॥-हाफिज जालन्धरी

कमजोर जान के भी तुझे ऐ गमे फिराक।
दिल ने लिया तेरा सहारा कभी कभी॥- प्रो. जगन्नाथ आजाद

कुछ इख्तियार किसी का नहीं तबियत पर।
ये जिस पे आती है, बेइख्तियार आती है॥-जलील मानिकपुरी

वादा करके और भी आफत में डाला आप ने।
जिन्दगी मुश्किल थी, अब मरना भी मुश्किल हो गया॥-जलील मानिकपुरी

जवाब सोच के वो दिल में मुस्कुराते हैं।
अभी जबां पे मेरी, सवाल भी तो न था॥-बेखुद देहलवी

Saturday 6 July 2013

प्रेसपालिका : 01 जुलाई, 2013 में प्रकाशित शायरी

नजर उठाके उसे देखना था जुर्म मगर।
हजार बार मेरे सामने से गुजरी थी॥ अमीर कजलबाश

अब ये तय करके चला हूँ कि भटकने के लिये।
जिस तरफ राह न जाती हो उधर जाऊंगा ॥ डॉ. जमशेद अनजान

ओ मेरे मन की आकुलता मेरा साथ छोड़ मत देना ।
अभी हृदय में घुट-घुटकर जीने का अरमान शेष है॥ शिव कुमार शुक्ल

शर्म है आंखों में और न है जुबां पर बंदिशें।
यूं तो करता है जमाने भर से वो परदा बहुत॥ राजू रंगीला

तुम मो तन्हा रास्ते में छोड़कर गुम हो गये।
मुद्दतों मुझको मेरी रुसवाईयों ने खत लिखे॥ ओंकार गुलशन

यूं तो जो पाया सफर में, सब सफर में रह गया।
रास्ते का आखिरी मंजर नजर में रह गया॥ मखूर सईदी

कैसे वो सबका मित्र बना, हम न बन सके।
सच पूछिए तो उसने दिखावा किया बहुत॥ निश्तर खानकाही

खुशी में झूमकर, हंसने से पहले, ये समझ लेना।
हंसी अक्सर कई जख्मों के टांके खोल देती है॥ अशोक साहिल

कर दिया मैंने जमाने को उसी के रू-ब-रू।
हाथ धोकर फिर मेरे पीछे जमाना पड़ गया॥ कृष्ण सुकुमार