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Saturday 3 November 2012

प्रेसपालिका : 01 नवम्बर, 2012 में प्रकाशित शायरी

शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी|
आपके आने की एक आस थी सो जाने लगी॥
-मखदूम

नींदों का सिलसिला मेरी आँखों से दूर है|
हर रात रतजगा है, तुझे देखने के बाद॥
-तस्नीम सिद्दीकी

उधर से बच के निकलना, वो उधर रहता है|
के जिसको नींद चुराने का कमाल आता है॥
-जिगर श्योपुरी

हमसे ये बागवां का तकाजा भी खूब है|
गुलशन में रह के फूलों से दामन बचाइये॥
-तस्नीम सिद्दीकी

अन्दाजे-बला है के ‘कयामत’ की नजर है|
जलवे का ये आलम है कि दीवाना बना दे॥
-शाहिर देहलवी

वो भोलापन किसी का आह भूला है न भूलेगा|
वो रो देना हँसी में और हँस देना वो रोने में॥
-आज़ाद

तेरी आँखों का कुछ कुसूर नहीं|
हॉं, मुझी को खराब होना था॥
-जिगर

बैठे तकते तो हैं कनखियों से?
ये नहीं पूछते, खड़े क्यों हो?
-आरजू लखनवी

आप कहते हैं बार-बार ‘नहीं’|
हम को ‘हां’ का भी एतबार नहीं|
-रविश सिद्दीकी

हमारे बाद जो दुनिया कहेगी वो भी सुन लेना|
अभी तो तुम हमारी बे-जुबानी देखते जाओ॥
-नातिन

तुम जफा पर भी तो नहीं कायम|
हम वफा उम्र-भर करें क्यों कर॥
-बेदिल अजीमाबादी

फकीरी में भी मुझको मांगने में शर्म आती है?
सवाली होके मुझसे हाथ फैलाया नहीं जाता॥
-मखमूर

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