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Friday 17 January 2014

प्रेसपालिका : 16 जनवरी, 2014 में प्रकाशित शायरी

मुझे रोकेगा तू ऐ नाखुदा क्या गर्क होने से,
कि जिनको डूबना है, डूब जाते हैं सफीनों में।-डॉ. इकबाल

जिन्दगी गम सही, मगर इसका-
यह तो मतलब नहीं कि मर जाएं!-अखगर शहानी

जिन्दगी को संभाल कर रखिए,
जिन्दगी मौत की अमानत है।-बिस्मिल सईदी

दुनिया संवार दी है, जुल्फों को क्या संवारा?
जी में ये आ रहा है, मुंह चूम लूं तुम्हारा॥-हीरा लाल फलक

तुमको फुरसत ही न थी, हुस्न की आराईश से,
कैसे गुजरे मेरे दिन रात, तुम्हें क्या मालूम!!-मजहर नदीम

दुश्मनी जम कर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे।
जब कभी हम दोस्त हो जाएं, शरमिन्दा न हों॥-बशीर बद्र

खुद की नजर में हो खूबसूरत मगर।
आईना देख लोगे तो डर जाओगे॥-आसिफ रोहतासवी

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