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Saturday 4 January 2014

प्रेसपालिका : 01 जनवरी, 2014 में प्रकाशित शायरी

जमीं ने चूम लिया, आसमां ने थाम लिया।
मेरे लरजते लबों ने जो तेरा नाम लिया॥-एकता शबनम

कभी कहा न किसी से तेरे फसाने को।
न जाने कैसे खबर हो गयी जमाने को॥-कमर जलालवी

इश्क में और कुछ नहीं मिलता।
सैकड़ों गम नसीब होते हैं॥-नूह नारवी

हँसते हुए फूलों पे नजर है, मगर इनमें।
हम तेरे तबस्सुम की अदा ढूँढ रहे हैं॥-तमन्ना जमाली

तुमसे जुदा हुए तो जमाना गुजर गया।
लेकिन तेरी कसम, तेरा अब भी ख्याल है॥-जकी काकोरवी

तुम तो दिल मांगो हो, यहॉं जान तलक हाजिर है।
बात ये भी है कोई आपके फरमाने की॥-अहसन 

चंद दिन, आह मियां, मैं भी खुदाई कर लूं।
झूठ ही कह दो कि हां, तुमसे मुहब्बत है हमें॥-खाकसार

तुम मुखातिब भी हो करीब भी हो।
तुम को देखें कि तुम से बात करें॥-फिराक

खुदा के वास्ते आँखों से पोंछ लो आँसू।
रहेगा कौन टपकते हुए मकानों में॥-शांति सबा

इश्क के खेल से बचते हैं नौजवां अक्सर।
ये हुस्न वाले ही शौकीन बना देते हैं॥-जिगर श्योपुरी

मेरी रुसवाई में वो भी हैं बराबर के शरीक।
मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है॥-अहमद शहजाद

बातों-बातों में कोई बात खटक जाती है।
एक-दो लफ्ज ही बेगाना बना देते हैं॥-शमीम तारिफ

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