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Thursday 30 January 2014

प्रेसपालिका : 01 फरवरी, 2014 में प्रकाशित शायरी

इश्क करना है तो फिर इश्क की तौहीन न कर।
या तो बेहोश न हो, हो तो न फिर होश में आ॥-आ. ना. मुल्ला

हम तो डूबकर कश्ती को, खुद ही पार लगाएंगे।
तूफां से गर बच निकले, साहिल से जा टकराएंगे॥-माहिरूल कादरी

अंगड़ाई ले के अपना मुझ पर खुमार डाला।
काफिर की इस अदा ने, बस मुझको मार डाला॥-मुसहफ़ी

वो भी शायद रो पड़े वीरान कागज देखकर।
मैंने उनको आखिरी बात में लिखा कुछ भी नहीं है॥-निजाम रामपुरी

सुनी-सुनायी बात नहीं है, अपने ऊपर बीती है।
फूल निकलते हैं शोलों से, चाहत आग लगाये तो।-अन्दलीब शादानी

मुहब्बत खुद-ब-खुद इक रोज दिल का साज बन जाती।

अगर दिल की हर एक धड़कन मेरी आवाज बन जाती॥-एकता शबनम

दिन-रात की ये बेचैनी है, ये आठ पहर का रोना है।
आसार बुरे हैं फुरकत में, मालूम नहीं क्या होना है॥-अकबर इलाहबादी

कभी तकदीर का मातम, कभी दुनिया का गिला।
मंजिले-इश्क के हर गम पे रोना आया॥-शकील बदायूंनी

यही रफ्तार का अन्दाजा है तो क्या ठिकाना है।
खुदा जाने कहॉं छिपना पड़े जाकर कयामत को॥-आगा शाइर

किसी तकदीर से पहले संवरना जिनका मुश्किल है।
तेरी जुल्फों में कुछ ऐसे भी खम महसूस करता हूँ॥-अजीज वारसी

बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का।
कलेजा कांपता है आशियां को आशियां कहते॥-असर लखनवी

मैं सोचता हूँ जमाने का हाल क्या होगा।
अगर उलझी हुई जुल्फ तूने सुलझाई॥-अहमद राही

Friday 17 January 2014

प्रेसपालिका : 16 जनवरी, 2014 में प्रकाशित शायरी

मुझे रोकेगा तू ऐ नाखुदा क्या गर्क होने से,
कि जिनको डूबना है, डूब जाते हैं सफीनों में।-डॉ. इकबाल

जिन्दगी गम सही, मगर इसका-
यह तो मतलब नहीं कि मर जाएं!-अखगर शहानी

जिन्दगी को संभाल कर रखिए,
जिन्दगी मौत की अमानत है।-बिस्मिल सईदी

दुनिया संवार दी है, जुल्फों को क्या संवारा?
जी में ये आ रहा है, मुंह चूम लूं तुम्हारा॥-हीरा लाल फलक

तुमको फुरसत ही न थी, हुस्न की आराईश से,
कैसे गुजरे मेरे दिन रात, तुम्हें क्या मालूम!!-मजहर नदीम

दुश्मनी जम कर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे।
जब कभी हम दोस्त हो जाएं, शरमिन्दा न हों॥-बशीर बद्र

खुद की नजर में हो खूबसूरत मगर।
आईना देख लोगे तो डर जाओगे॥-आसिफ रोहतासवी

Saturday 4 January 2014

प्रेसपालिका : 01 जनवरी, 2014 में प्रकाशित शायरी

जमीं ने चूम लिया, आसमां ने थाम लिया।
मेरे लरजते लबों ने जो तेरा नाम लिया॥-एकता शबनम

कभी कहा न किसी से तेरे फसाने को।
न जाने कैसे खबर हो गयी जमाने को॥-कमर जलालवी

इश्क में और कुछ नहीं मिलता।
सैकड़ों गम नसीब होते हैं॥-नूह नारवी

हँसते हुए फूलों पे नजर है, मगर इनमें।
हम तेरे तबस्सुम की अदा ढूँढ रहे हैं॥-तमन्ना जमाली

तुमसे जुदा हुए तो जमाना गुजर गया।
लेकिन तेरी कसम, तेरा अब भी ख्याल है॥-जकी काकोरवी

तुम तो दिल मांगो हो, यहॉं जान तलक हाजिर है।
बात ये भी है कोई आपके फरमाने की॥-अहसन 

चंद दिन, आह मियां, मैं भी खुदाई कर लूं।
झूठ ही कह दो कि हां, तुमसे मुहब्बत है हमें॥-खाकसार

तुम मुखातिब भी हो करीब भी हो।
तुम को देखें कि तुम से बात करें॥-फिराक

खुदा के वास्ते आँखों से पोंछ लो आँसू।
रहेगा कौन टपकते हुए मकानों में॥-शांति सबा

इश्क के खेल से बचते हैं नौजवां अक्सर।
ये हुस्न वाले ही शौकीन बना देते हैं॥-जिगर श्योपुरी

मेरी रुसवाई में वो भी हैं बराबर के शरीक।
मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है॥-अहमद शहजाद

बातों-बातों में कोई बात खटक जाती है।
एक-दो लफ्ज ही बेगाना बना देते हैं॥-शमीम तारिफ